देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और इसी के साथ विभिन्न दल अपने अपने घोषणापत्रों को जनता के समक्ष रखेंगे। इन पत्रों के अध्ययन से इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े सुधार, विभिन्न जनकल्याणकारी वादे, चुनावी रेवड़ियां तथा जातीय-धार्मिक विषयों पर जनमत के साथ साथ पार्टियों के रुख का भी अनुमान लगेगा। परन्तु यह देखा गया है कि इस चुनावी कोलाहल के बीच एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे से हमारा ध्यान अक्सर हट जाता है.